पर्यावरण पर बहुत ही कमाल के निबंध

पर्यावरण पर बहुत ही कमाल के निबंध



दोस्तों हम सभी जानते हैं कि हमें जीने के लिए महत्वपूर्ण तत्व यानी जल, वायु और मिट्टी की जरूरत होती है। ये सभी चीज़े Environment यानी पर्यावरण या वातावरण के अन्तर्गत आती हैं।

पर्यावरण क्या है ? What Is Environment In Hindi ?

दोस्तों हम आपको पर्यावरण के बारे में बताते हैं कि पर्यावरण क्या है? दोस्तों पर्यावरण उसे कहते हैं जो हम अपने चारों तरफ देखते हैं। पर्यावरण उन सभी चीजों से मिलकर बनता है, चाहें वो चीज म्रत हो या जीवित हो, जैसे – जल, वायु, सड़क, घर, पेड़-पौधे आदि। इन सभी से मिलकर पर्यावरण बनता है।
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पर्यावरण खराब होने की वजह –

पर्यावरण में मनुष्य के कारण कई बदलाव आ रहे हैं।
प्रदूषण किसे कहते हैं?
पर्यावरण में अजैविक तत्वों का मिलना प्रदूषण कहलाता है।
पहले कम आबादी के कारण प्रदूषण कम होता था। लेकिन जैसे जैसे आबादी बड़ रही है वैसे वैसे मनुष्य की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। अपनी जरूरतों के कारण मनुष्य काफी बड़ी मात्रा में पेड़ो को काट रहा है और उनकी जगह बड़े बड़े भवनों का निर्माण कर रहा है।
पेड़ों के फायदे हमारे लिए
पेड़ हमे प्राण दायनी वायु यानी ऑक्सीजन देते हैं,
पेड़ अपने अंदर कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं, बहुमूल्य ऑक्सीजन हमे देते हैं।
मनुष्य के कारण ये सन्तुलन बिगड़ रहा है, मनुष्य अंधाधुंध Pollution यानी प्रदुषण फैला रह है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

प्रदूषण के कारण मौसम में भी परिवर्तन आ गया है। ठंड कम पड़ती है, गर्मी अत्यअधिक पड़ती है, बरसात में या तो बर्षा अत्यधिक होती है या सूखा पड़ जाता है। समय पर वर्षा कम ही होती है। ये सब पर्यावरण प्रदूषण के कारण होता है।
प्रदूषक क्या है?
जिन कारणों से प्रदूषण फैलता है वह प्रदूषक कहलाते हैं।
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं जैसे –
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
  • भूमि प्रदूषण (Soil pollution)

जल प्रदूषण (Water Pollution)

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जल की अहमियत
दोस्तो ये तो हम सभी जानते है कि अल्लाह (ईश्वर) ने हमें कई अनमोल तोहफे दिए हैं, जिनमें से एक बहुमूल्य तोहफा जल (पानी) है। जल हमारे लिए जीवन है। जल के बिना हम जीवित नही रहे सकते। हमारी दिनचर्या जल से ही शुरू होती है। जल रोज़मर्रा के कामो जैसे नहाना, कपड़े धोना आदि के काम आता है।
हमारे शरीर मे एक तिहाई पानी है। जिस तरह हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा काम करता है, उसी तरह जल भी काम करता है। लेकिन मनुष्य के अंधाधुंध विषैले पदार्थों का जल में विसर्जन करने से अत्यधिक जल प्रदूषण बढ़ गया है।
जल प्रदूषण के कारण
जल प्रदूषण के कई कारण हैं,
जैसे –
  • समुद्र में कूड़ा डालना
  • कचरे का सीधे जल में डालना
  • ऑयल पॉल्युशन
  • सीवेज मुख्य रुप से घरों में होना
  • भूमि गत भण्डारो का लीक होना
  • और परमाणु कचरा
1.बड़े बड़े कारखानों से निकलने वाला कूड़ा करकट समुद्र, नदियों, तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है।
2.इसके अलावा ऑयल को सीधे जल में डालने से जल प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण के नुकसान

जल प्रदूषण से जीव जंतुओं, पेड़ पौधे और मनुष्यों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जल प्रदूषण के घातक परिणाम से पोलियों, हैजा, टाइफाइड आदि जैसी बीमारियां फैल रही हैं। इसके अलावा घरो में नहाने, कपड़े धोने आदि का जल नदी तालाबों आदि में जा के जल को दूषित करते हैं।
जल प्रदूषण से कैसे बचें
जल प्रदूषण दूषित होने से रोकना चाहिये।
  • इसके लिए हमे घरों तथा उद्योगों से निकलने वाला अपर्चक पदार्थो तथा विषैले पदार्थों को उत्सर्जित करने से पहले शुद्ध करना चाहिए।
  • जल में पेट्रोलियम पदार्थों को नही मिलाना चाहिए।
  • नगरों और शहरों में निकलने वाला मल, कूड़ा, करकट आदि को जल में नही मिलाना चाहिए।
  • इसे कहीं दूर गड्डे में डाल देना चाहिये, जिससे कम्पोस्ट खाद बन सकती है जो खेतो में काम आ सकती ह

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

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दोस्तों जल और भोजन के बिना हम कुछ दिन तक जीवित रह सकते हैं, परंतु वायु के बिना एक पल भी जीवित नही रह सकते हैं। वायु प्रदूषण का मतलब है अन्य विषैली गैसों का वायु में मिलना।
वायु प्रदूषण के कारण ओजोन परत में भी काफी परिवर्तन आया है। जिस के कारण मौसम में परिवर्तन आया है। तेजी से बड़ रहा आधुनिकता विकास से इन वर्षों में वायु प्रदूषण में काफी व्रद्धि हुई है।
वायु प्रदूषण के मुख्य कारण
उधोग, वाहन, शहरीकरण आदि वायु प्रदूषण के मुख्य घटक हैं।
ताप विधुत गृह, लोहे के उद्योग, सीमेंट, तेल शोधक, उद्योग खान, पेट्रोरसायन उद्योग आदि से वायु प्रदूषण में काफी व्रद्धि हुई है।
प्राकृतिक प्रक्रियाओं तथा मानव गतिविधियों से पेड़ पौधे, जीव-जंतु सभी प्रभावित हो रहे हैं। वायु में प्राकृतिक रूप या अधिक सांद्रता से वायु में मिलने वाले पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है।
वायु प्रदूषण और नुकसान
कई गैस जैसे – कार्बनडाई-आक्साइड, लैड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी), कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सस्पेंड पार्टिकुलेट मैटर और सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी गैसें वायु में मिलकर कई बीमारियां जैसे – कैंसर, स्किन कैंसर, सांस की बीमारी आदि बीमारियां फैलाती हैं।
वाहनों जैसे बसे, मोटर गाड़ी, कारें आदि के डीजल और पेट्रोल के जलने से जो गैस उत्पन्न होती हैं, वही कार्बन-मोनो ऑक्साइड गैस होती है। वायु प्रदूषण के कारण ग्लोविंग वॉर्मिंग, ओज़ोन परत पतली हो रही है। अम्लीय वर्षा जैसी समस्याएं उत्त्पन्न हो रही हैं, जो की मनुष्य के लिए घातक साबित हो रही हैं।
इसलिए हमें वायु प्रदूषण कम करना चाहिए
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

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ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं?
जिस प्रकार जल प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण अवंछित कारकों के मिलने से होता है, उसी प्रकार अवंछित या अत्यधिक ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण मोटर वाहनों, कारखानों, लाऊड-स्पीकरों, कूलर आदि के शोर से होता है।
ध्वनि प्रदूषण के नुकसान –
ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य में कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जैसे – उच्च रक्तचाप, तनाव आदि अवंछित ध्वनि के कारण हो सकती है।
ध्वनि प्रदूषण से बचाव –
हमे ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिये कई उपाय करने चाहिए, जैसे – हमें कारखानों इत्यादि में साइलेंसर लगाना चाहिये, जिससे शोर कम हो सके और अपने भवनों के चारो तरफ पेड़ पौधे लगाने चाहिए इससे ध्वनि प्रदूषण कम हो सकता है। इत्यादि।

भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)

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भूमि प्रदूषण क्या है?
जनसंख्या में व्रद्धि के कारण अत्यधिक पेड़ों को काट के अपनी जरूरतों के लिए भवन निर्माण, फैक्टरीयां आदि का निर्माण कर रहे हैं, जिसके कारण भूमि प्रदूषण बड़ रहा है।
पेड़ो को अधिक काटने से मिट्टी का जमाओ सही से नही हो पाता है और वायु और जल दोनों ही इसे बहा कर ले जाते हैं। जिसके कारण मिट्टी का कटाव होता है।
भूमि प्रदूषण के नुकसान –
जल और वायु की तरह मिट्टी भी हमारे लिये उपयोगी है। मिट्टी के बिना भी हमारा जीवन सम्भव नहीं है। भूमि धरती की सबसे ऊपरी सतह होती है, लेकिन इसे भी दिन प्रतिदिन दूषित किया जा रहा है। मनुष्य की स्वार्थी गतिविधियों के कारण मिट्टी की गुडवत्ता बदल रही है। जिसका प्रभाव जीव-जंतुओं आदि पर अत्यअधिक पड़ रहा है।
भूमि प्रदूषण मिट्टी को जहरीला बनाने की एक धीमी प्रक्रिया है। हमे मिट्टी की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिये। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी और जीव-जंतु सुरक्षित रहे सकें।
भूमि प्रदूषण से कैसे बचें?
इसके लिए हमे घरों में निकलने वाले कचरे, कोयलों की बच्ची हुई राख, कीट नाशक दवाईयाँ, प्लास्टिक, पोलोथिन बैग, रासायनिक तत्वों का प्रयोग आदि से बचने के लिये हमें रीसाइक्लिंग का तरीका अपनाना होगा।
जिसके बाद उसका पुनः प्रयोग किया जा सके। मिट्टी में फसलों के लिये उर्वरकों का प्रयोग न करके जैविक खादों का उपयोग करना चाहिए। अधिक मात्रा में पेड़ पौधों को लगाना चाहिये। घरों के आस पास कूड़ा न फेंक कर इसे कूड़े दान में डालना चाहिए।

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